दीदी और मेरी सेक्स की दुनिया

फर्स्ट मैं इंट्रोड्यूस कर देता हूँ मेरा, मेरा नाम संतोष है, मैं ओड़ीसा से बिलॉंग करता हूँ भुबनेश्वर से, मेरा हिन्दी थोड़ा वीक है,तो दोस्तों भावनाओ को समझना फील करना,वर्ड्स पे मत जाना, मैं एवी रवेंशा यूनिवर्सिटी मे बिकोम 2न्ड़ ईयर मे हूँ.
दोस्तों मेरी ज़िंदगी का एक सीक्रेट बता रहा हूँ, कोई नही जानता मेरे और मेरी दीदी के सिवा.
माफ़ करना दोस्तों पूरा डीटेल्स पे जाता हूँ आपको बोर करता होन्गा, पर सिचुयेशन बताने के लिए आपको बताना पड़ेगा.
मेरे ग्रॅंडफादर और उनका भाई बहुत दीनो से अलग हो चुके है बट हमारा घर और उनका पूरा एक साथ है, सिर्फ़ खाना पीना ही अलग हैं, मेरे ग्रॅंडफादर के भाई एज से काफ़ी छोटे है मेरे ग्रॅंडफादर से, उनका 4 बेटी 1 बेटा, एंड उन सबकी एज भी दो तीन साल ज़्यादा है मेरे से, लास्ट वन तो मेरे से छोटा हैं.
ये कहानी मेरा 10थ स्टॅंडर्ड से अब तक का है, हमलोग ओड़ीसा मे बुआ को भी दीदी बुलाते है, मेरी ज़िंदगी को जो सेक्स की सोच दी वो है झिमी दीदी, वो 2न्ड है ऑर्डर मे, मेरे से 3 साल बड़ी.
वो 3 बहन, मे, मेरी सग़ी बेहन, एंड मेरी बुआ बचपन से यानी मैं जब 3र्ड स्टॅंडर्ड मे था तब से एक रूम मे सोते थे, काफ़ी बड़ा है, आक्च्युयली हमारा घर भी काफ़ी बड़ा है, पर हम लोग सब मज़ा मस्ती करते थे और खेलते थे इसलिए सब एक साथ सोते थे,
मैं हमेशा क्लास का टॉपर रहा तो सिर्फ़ पढ़ाई, दीदी लोगों के साथ मस्ती, , सबसे प्यारा था.
झिमी दीदी पूरा माल हैं,थोड़ा शॉर्ट हाइट,मस्त बदन,थोड़ा बड़ी गॅंड, पर्फेक्ट साइज़ पता नहीं.
कहानी शुरू.
10थ स्टॅंडर्ड हो गया था, ठंड का मौसम था, सुबह कोई 4 बजे होगे, मैं सोया था लेकिन नींद टूट गया था, झिमी दीदी मेरे पास सोते थे, मेरे जाँघो से कुछ अजीब सा सहलाते हुए मेरे नुणु को छुआ. सहलाया,फिर थोड़ा मसला, गोटियो को भी प्यार से सहलाया.
कुछ मिनट तक मुझे कुछ पता नहीं चला, बाद मे पता चला की झिमी दीदी का हाथ है, मुझे अछा फील हो रहा था, मुझे पता नहीं था क्या हो रहा हैं, छोटा भी था कहाँ सेक्स का नालेज, झिमी दीदी को लग रहा था की मैं सोया हुआ हूँ क्यूंकी मैं जब थोड़ा हिलता था तो वो रुक जाती थी.
उस दिन फर्स्ट था या मुझे और कोई दिन मालूम नहीं होता था ये पता नहीं, फिर अगले दिन भी ऐसा हुआ, कुछ चेंज हुआ. झिमी दीदी मेरे हाथ पकड़ के धीरे से उनके चुचि पर रख दी उस टाइम छोटा था उनका, और मेरे हाथ को धीरे धीरे प्रेस किए, मुझे तो अजीब अजीब लग रहा था.
अछा लग रहा था, मैं कुछ बोलता नहीं था क्यूंकी जब मैं हिलता था तो वो रुक जाती थी,उनका रुकना अछा नहीं लगता था, मैं सोचा मेरे सोने का आक्टिंग ही सही है, हुमलोग तलाव मे नहाते थे उस टाइम तो मैं नंगा नहाता था और झिमी दीदी सिर्फ़ एक टॉवेल डालती थी वो भी खुल जाती थी.
झिमी दीदी का ड्यूटी होता था की सबको ऩाहके घर भेजे, पानी मे हमलोग काफ़ी मस्ती करते थे लेकिन झिमी दीदी मेरे नुणु को हमेशा पकड़ के रखती थी पानी के अंदर और बोलती रहती थी की डूब जाएगा मैं तुझे छोड़ नहीं सकती,
मैं तो धीरे धीरे पूरा उस दुनिया मे चला गया मुझे पता नहीं था की क्या चल रहा हे, हमेशा वेट करता था की कब झिमी दीदी मेरे साथ खेलेगी, नहाने के टाइम उसकी पूरी चुत जो की मेच्यूर नहीं थी मतलब बाल नहीं थे,हमेशा मैं देखता था घूर के. वो स्विम भी अछा करती है.
उसकी गॅंड उपर करके डुबकी लगाना मुझे बहुत पसंद था, कैसे हो गया क्या हुआ अट्रॅक्ट होते चला गया, दिन मे भी मैं एक चादर डालके सो जाता था मतलब आक्टिंग करता था, चादर डालता था क्यूंकी सब अंदर मे होगा किसिको पता नहीं चलेगा मुझे भी थोड़ा ग्यान आ गया था, ,वो आएगी मेरे पास सोएगी वोही काम, एक दिन वो मेरे हाफ पैंट की जीप खोली एंड नुणु को बाहर निकाला एंड वो अपनी पैंटी उतारी.
मैं एक साइड होके सोया था वो पूरा पास आई एंड मेरे नुणु को वो उसकी चुत मे डालने की कोशिश की लेकिन कुछ हुआ नही नुणु कहा खड़ा होगा छोटा भी है, आक्च्युयली मैं मूह को भी ओढ़ लिया था तो सब देख रहा था. एंड दिन के टाइम मे हमारे यहा कोई नही सोते थे, किसिको पसंद नही था जिसकी मर्ज़ी, मैं मज़ा लेने के लिए सोता था.
उस दिन वो मेरे एक उंगली लेके चुत मे डाली, और उपर नीचे करने लगी, मुझे उस टाइम क्या हो रहा हैं ये कुछ भी पता नहीं था. अभी पता चला, ऐसे ही चलता रहा 5थ तक, जिस दिन कुछ नहीं होता था तो बहुत टेन्षन हो जाता था क्या करू कुछ पता नहीं चलता था.जिसे अभी प्यासा बोलते हैं.
झिमी दीदी भी नया नया गेम्स इनवेंट करती थी, जब सारे कहीं और होंगे तो वो मेरे साथ खेलेगी जैसे कोन किसकी छाती को प्रेस कर सकता है,कोन किसके उपर सो सकता है -इस गेम मे तो हम दोनो कस के एक दूसरे को पकड़त्ते थे एंड उपर नीचे होते थे कभी वो उपर कभी मैं, ऐसेही बहुत गेम्स.
वो हमेशा मेरे हात को कासके पकड़ती थी, हमलोग सूसू भी एक साथ करते थे तो वो अलग टाइप का बिहेव करती थी कभी मेरे नुणु को पकड़ के बोलती थी की इसे टाइट से पकड़ना, वो भी कभी खड़े होके कभी मुझे बिठाके सूसू करवाती थी, क्या कहूँ दोस्तों अलग जमाने मे था उस वक्त.
मुझे अछा लग रहा था बहुत, तो मैं भी कैसे दूर भाग सकता मुझे अछा बुरा कुछ पता नही था, उसका हर एक काम अछा लगता था उसकी चुत तो मेरा स्वर्ग बन गया था.
हमेशा मेरे दिमाग़ मे उसकी चुत की पिक बन गयी थी, उसे पता नहीं होगा की मैं उसे भी उतना चाहता हूँ जितना वो मुझे, मैं कभी अपने तरफ से स्टार्ट नहीं होता था वो ही सब कुछ करवाती थी,
मैं हमेशा भोला बनता था, इतनी बड़ी माल है वो अगर आप देखोगे तो रेप कर दोगे आपकी चड्डी फट जाएगी सच मे, इसमे मैं जो भी बता रहा हूँ कुछ भी अपने मन का नहीं है सबकुछ रियल मे है.
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार नीचे कॉमेंट सेक्षन मे ज़रूर लिखे, ताकि देसीकाहानी पर कहानियों का ये दौर आपके लिए यूँ ही चलता रहे.
11थ से आगे की इंडियन सेक्स स्टोरी दूसरे पार्ट मे बताउन्गा, प्लीज़ फ्रेंड्स फीडबॅक देने का मत भूलिए, मेरी मैल आईडी है
एनी लॅडीस कॅन कॉंटॅक्ट मी ऑन दिस रेडिफफ्ं मेल अकाउंट फॉर एनी टाइम, मैं उस बचपन से उस दुनिया मे हूँ अभी भी हूँ मुझे बस कॉंटॅक्ट करो बाते करो, मैं बहुत फ्रेंड्ली हूँ.



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