नैना की कुँवारी चूत – Desi Sex Stories

हेलो दोस्तो, मैं आपका दोस्त विवेक आपके लिए फिर से हाजिर हूँ. मेरी पिछली कहानियो को बहोत आछे कॉमेंट्स मिले जिसके लिए आपका बहोत – 2 शुक्रिया. आज मैं आपको एक और कहानी बताने जा रहा हूँ जो की मेरे दोस्त विपुल की है. भाभी की बेहन
तो चलिए शुरू करते है.
मेरा दोस्त जिसका नाम विपुल है वो बहोत अछा इंसान है और वो रेलवे मे लगा हुआ है.
अब मैं थोड़ा उसके बारे मे भी बता देता हूँ.
विपुल एक दम हटता-कटता है और उसकी शादी हो रखी है और वो अपनी फॅमिली के साथ देल्ही मे रहता है.
दोस्तो, ये कहानी तब की है जब उसकी शादी नही हुई थी और उसकी पोस्टिंग मुज़्ज़फ़र नगर मे हुई थी और रेलवे की तरफ से क्वॉर्टर भी मिल रखा था. उसका क्वॉर्टर रेलवे स्टेशन से सिर्फ़ 1 केमी ही दूर था और तभी उसके बड़े भाई की पोस्टिंग भी मुज़्ज़फ़र नगर मे हो गई थी जो की एक बॅंकर थे और उनकी शादी को अभी 6 मंथ ही हुए थे इसलिए विपुल ने उन्हे अपने क्वॉर्टर मे साथ रहने को कहा क्योकि वो भी अकेला था और एक ही शहर मे क्यो दोनो भाई अलग- अलग रहे.
दोस्तो, अब आगे की कहानी विपुल की ज़ुबानी.
दोस्तो, मैं आपको अपनी भाभी के बारे मे बताता हूँ जिनका नाम रीना है और वो दिखने मे एकदम मस्त है. उनका गोरा चित्ता जिस्म उस पर कजरारी आँखे, उनके रसीले होंठ और उनकी फिगर तो कातिलाना जिसे देखते ही जान निकलकर बाहर आ जाए. सच मे भाभी एक दम मस्त पटाका है.
मैं अपनी भाभी को बहोत देखता रहता था, उनकी कातिलाना शरीर मुझे बहोत अछा लगता था जिसकी वजह से मैं भाभी को पसंद करता था पर घरवालो के मिले संस्कारो ने मुझे कभी आगे बढ़ने नही दिया और भाभी की तरफ से भी मुझे कोई इशारा नही मिल रहा था. वैसे मैं अपनी भाभी के साथ मज़ाक करलेता था पर उससे आगे कुछ नही करता था.
मेरे भैया- भाभी की नयी नयी शादी हुई थी इसलिए उनके कमरे से रात को आहह आह की आवाज़े आती थी जिसकी वजह से मेरा भी मूड खराब होजाता था और मेरा मन भी किसी को चोदने को करता था पर मेरे पास ना कोई गर्लफ्रेंड थी और ना ही कोई फ्रेंड जिसके साथ मैं ऐसे कर सकता था. मैं तो बस खुद ही अपने हाथो से मूठ मारकर खुद को शांत करलेता था.
ऐसे ही समय चलता गया और काफ़ी समय चले जाने के बाद मेरी किस्मत ने भी रुख़ बदला और मेरी ज़िंदगी मे ट्विस्ट आया.
मेरी भाभी की छोटी बहन जिसका नाम नैना है और वो भाभी से सिर्फ़ 2 साल छोटी थी और दिखने मे तो भाभी से भी ज़्यादा सुंदर थी और वो बी.ए फाइनल के एग्ज़ॅम के लिए मुज़फ़्फ़र आ रही थी. भाभी के पापा ने फोन किया और कहा – रीना बेटा नैना आ रही है ट्रेन से उसे लेने चले जाना.
मैं आपको बता दू की भाभी के पापा यही मुज़्ज़फ़र नगर के रहने वाले है पर काम के सिलसिले मे उन्हे कानपुर जाना पड़ गया था और वो अब कानपुर मे ही रहते है. भाभी की छोटी बहन नैना का भी कॉलेज यही पर था पर वो कॉलेज कम ही जाती थी.
मेरे भैया भी काम के सिलसिले से 15 दिन के लिए बाहर टूर पर गये हुए थे और घर पर सिर्फ़ मैं ही मर्द था इसलिए मैं भाभी से बोला – भाभी, नैना की ट्रेन तो 3: 30 या 4:00 बजे तक आएगी और मेरी भी ड्यूटी वाहा पर तीन बजे तक की है तो मैं उसे ले आउन्गा.
भाभी – ठीक है तुम ले आना.
मैं अपनी ड्यूटी ख़तम करके 3 बजे फ्री हो गया और बाद मे पता चला की जिस ट्रेन से नैना आ रही है वो 7 बजे तक आएगी इसलिए मैं वही अपने दोस्तो के साथ बैठकर टाइम स्पेंड करने लग गया और शाम के 5 बजे धूप हॅट जाने पर एक दम से काले बादल आ गये थे जिसकी वजह से बारिश भी कभी भी आ सकती थी और हुआ भी कुछ ऐसे ही. करीब 6:30 बजे एक दम से बारिश होने लग गई और ठंडी-ठंडी ह्वाए भी चलने लग गई इसलिए मैने भाभी को फोन कर के कह दिया.
अब करीब थोड़ी देर इंतेज़ार करने के बाद ही 7:15 बजे ट्रेन आ गई जिसमे नैना आ रही थी. मैं उसे पिक करने के लिए ट्रेन चेक करने लग गया और तभी मैने देखा की एक बोहोत ही खूबसूरत लड़की, सलवार- सूट मे मेरे पास आ रही थी. मैने उसे ध्यान से देखा तो पता चला की वो नैना ही थी और मैं आपको क्या बताउ की वो इतनी मस्त लग रही थी की उसके आगे तो टी.वी की आक्ट्रेसस भी फैल थी.
बाहर अभी भी बारिश चल रही थी पर बारिश बहोत धीमी थी इसलिए मैने अपनी बाइक निकाली और वो मेरे पीछे बैठ गई. नैना के पास एक बहोत बड़ा बॅग था जिसको उसने अपनी जाँघो पर रख रखा था और खुद वो बाइक के बिल्कुल पीछे की और हो कर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उसे अनकंफर्टबल लग रहा था.
नैना ने मुझे रोका और बॅग को अड्जस्ट करने लग गई.
मैं – नैना तुम आगे की तरफ हो कर बैठ जाओ और बॅग पीछे रख दो क्योकि मेरे पास हुक वाला रब्बर का बेल्ट है जिससे की मैं बॅग बाँध दूँगा.
नैना बहोत हिचकिचाती हुई उतरी और मैने बॅग बाँध दिया. बॅग इतना बड़ा था की मेरे बैठने पर उसके लिए बहोत कम जगह बच रही थी इसलिए मैं थोड़ा टंकी के उपर हो कर बैठ गया और उसने भी कोई और रास्ता ना देखते हुए बैठने का फ़ैसला किया और बैठ गई.
मेरे साथ नैना एक दम चिपक कर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उसके बूब्स मेरी पीठ से लग रहे थे जिसको वो बार बार कोशिश कर रही थी की ना लगे पर बाइक की रफ़्तार के चलते वो उछल कर लग ही जाते थे.
उपर से बरसात जिसमे हम लगभग भीग चुके थे और उसके बूब्स की गर्मी हम दोनो को पागल कर रही थी. मुझे उसका तो पता नही पर अपना ज़रूर पता था की मैं पागल हो रहा था. नैना मुझसे चिपकी हुई थी और वो काँप भी रही थी तो मैं बोला -नैना ठंड लग रही है क्या?
नैना – हाँ लग तो बहोत रही है.
मैं उसकी बात सुनकर फटाफट घर ले आया और घर पर आकर कपड़े चेंज कर भाभी के हाथो की गरम-गरम चाय पीने लग गये और फिर हम सब अपने- अपने काम मे लग गये.
मुझे नैना का तो पता नही की उसके अंदर भी ऐसी फीलिंग आई होगी या नही जो की मेरे अंदर आई थी पर मेरा तो यहा बुरा हाल हो रहा था. ना ही मुझे नींद आ रही थी और ना ही कुछ और, मुझे तो बस उसका चेहरा और उसका जिस्म ही दिखाई दे रहा था.
अब तो दोस्तो मैं ही उसे एग्ज़ॅम के लिए छोड़ने और लेने ज़ारा था और वो हमेशा इस बात का ध्यान रखती थी की वो मेरे जिस्म से नाही चिपके पर बाइक पर लगते झटको से आख़िर कार वो चिपक ही जाती थी जिसका मुझे बहोत अछा लगता था.
नैना के एग्ज़ॅम भी होने वाले थे, अब तक 2 हो चुके थे और अभी बाकी थे इसलिए मैने अब उसके सभी एग्ज़ॅम वाले दिन लेने गया और सोचा क्यो ना इसे अपने दिल की बात कर ही लून.
मैं- क्यो ना आज घूमने चले?
नैना वैसे तो अब मेरे साथ घुल मिल चुकी थी और हमारी बात चीत भी बहोत थी इसलिए उसने हान कर दी. उसकी हाँ सुनते ही मेरे दिल मे तो जैसे म्यूज़िक बजने लग गया और मैं उसे एक पार्क मे ले गया जहा पर बहोत ग्रीनरी थी और मन भी खुशी के मारे उछालता था.
वाहा पर हम दोनो घूम घूम कर बाते कर रहे थे और इसी के बीच हमारा जिस्म भी एक दूसरे से लग रहा था जिससे नैना को भी अछा लग रहा था.
नैना – विपुल चलो कॉफी पीने चलते है.
अब मैने उसकी बात सुनकर उसे किसी रेस्टोरेंट मे ले आया और जान बूजकर फॅमिली कॅबिन की और चला गया क्योकि मुझे तो नैना के साथ अकेले मे टाइम स्पेंड करना था. पर मुझे तो हैरानी तब हुई जब उसने भी मेरा साथ दिया और मेरे पीछे-पीछे आ गई.
हम दोनो एक साथ बैठे और वेटर के जाते ही नैना ने मेरा हाथ अपने हाथो मे ले लिया और मैने भी अपना दूसरा हाथ उसके हाथ पर रख दिया, तब मुझे महसूस हुआ की नैना काँप रही थी.
फिर जब वो कांपना कम हुई तो मैने कहा – क्या हुआ?
नैना- मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ.
मैं – हान बोलो.
नैना ने मेरे हाथो को ज़ोर से दबाते हुए बोला- मैं तुम्हारे साथ रहकर कुछ अलग और कुछ अछा फील करने लगी हूँ.
ये कहते ही उसने मेरे हाथ पर किस कर दी और मैं तो खुशी के मारे जैसे पागल ही हो गया और मुझे शायद उसकी तरफ से ये सिग्नल मिल गया था की हम कुछ कर सकते है.
फिर मैने उसके होंठो को अपने करीब किया और चूसने लग गया. उधर नैना भी मेरे रसीले होंठो का स्वाद ले रही थी और बड़े मज़े से हम दोनो करीब 5 मिनट तक किस करते रहे.
फिर हमारा ऑर्डर भी आ गया और हमने ऑर्डर मे दोसा किया था जो की दिखने मे बहोत मस्त लग रहा था और फिर हमने खा कर कॉफी पी और फिर वाहा से घर आ गये. घर पर भी हमे जब भी मौका मिलता हम एक दूसरे के होंठो को चूस लेते थे और एक दूसरे के जिस्म को भी छू लेते थे जिस से हमारे अंदर गर्मी आजाती थी पर हमे कभी ऐसा मौका नही मिल रहा था.
पर कहते है ना भगवान के घर देर है अंधेर नही. हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ क्योकि भैया के किसी ऑफीसर के यहा कोई पार्टी थी और भैया- भाभी को उसमे जाना था.
भैया के ऑफीस से आते ही भाभी भैया साथ मेरी बाइक पर चले गये और घर पर सिर्फ़ हम दोनो यानी मैं और नैना ही थे और उनके जाते ही मैं नैना के पास गया जो की किचन मे खाना बना रही थी. मैने उसे पीछे से ही पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चाटने लग गया.
नैना – मुझे खाना तो बनाने दो या भूका ही सोना है.
मैं अब बाहर आ गया और टी.वी देखने लग गया और फिर करीब 40 मिनिट बाद नैना खाना ले आई और हम दोनो ने एक साथ बैठकर खाना खाया और मैं फिर अपने कमरे मे आकर लेट गया और नैना बर्तन धोकर मेरे लिए दूध का ग्लास ले आई और मेरे पास आकर मुझे पिलाने लग गई.
मैं – क्या बात है!
नैना- मुझे तबीयत कुछ ठीक नही लग रही है और पता नही आपकी हिम्मत कहा पहले ख़तम हो जाए और मैं तड़पति रहू.
अब मैं उसके इशारे को समझ गया था इसलिए मैने उसके होंठो को अपने होंठो मे भर लिया और चूसने लग गया. फिर हम दोनो ने अपने कपड़े उतारे और मैं तो तबसे उसके चिकने शरीर को, उसके बूब्स को देखता ही रह गया.
अब नैना ने एक दम से मेरे लॅंड को हाथो मे लिया और चूसने लग गई. मेरा तो तब खुद पर से कंट्रोल ही टूट गया और वो मेरे लंड को चूसी गई. फिर मैने उसे बिस्तर पर लेटाया और उसकी चूत के पास आकर उसकी चूत को पहले तो निहारने लग गया क्योकि नैना की चूत थी ही इतनी मस्त की आँखे हटने का नाम ही नही ले रही थी.
फिर मैने उसकी चूत को खोलकर चाटना शुरू किया और खूब चाट कर उसका पानी भी निकाल दिया.
अब नैना ने मुझे उपर किया और मैने उसके होटो को चूसा फिर उसके बूब्स को मूह मे भरकर चूसने लग गया. नैना की चूत पर मेरा लंड लगा रही थी जिसको नैना ने पकड़ कर चूत पर सेट किया और मुझे धक्का लगाने को कहा. मैने उसकी बात मान ली और धप्प से थोड़ा लंड अंदर चला गया लार उस समय नैना का दर्द उसके चेहरे पर सॉफ नज़र आ रहा था.
मैं – दर्द हो रहा है क्या?
नैना- नही इतना दर्द तो होता ही है, मैं सहन कर लूँगी तुम डालो.
मैने उसकी बात मान ली और उसकी चूत मे पूरा लंड डाल दिया पर उसने इतनी हिम्मत दिखाई की एक छींख भी नही निकाली पर उसकी आँखो से आँसू उसके दर्द को सॉफ सॉफ बता रहे थे.
मैने लॅंड को बाहर निकाल लिया क्योकि मुझसे नैना का दर्द देखा नही जा रहा था पर नैना ने तो बाहर ही नही निकालने दिया और चोदने को कहा.
मैं उसे चोदता रहा और कुछ देर बाद उसने भी अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया जिससे मैं समझ गया की नैना को भी मज़ा आ रहा था. सच ही कहते है लोग की दुनिया की सारी खुशी एक तरफ और सेक्स की खुशी एक तरफ.
हम दोनो करीब 10 मिनिट तक ऐसे ही चुदाई की रासलीला को चलते रहे फिर एक दम से नैना का शरीर अकड़ गया और उसमे से पानी निकलने लग गया और वो ढीली पड़ गई. पर मेरी तो अभी भी हिम्मत जिंदा थी इसलिए मैने उसकी चूत चोदि और फिर से उसकी चूत का पानी निकाल दिया और अब तो पूरी तरह थक गई थी.
मैं – क्या हुआ थक गई?
नैना – हान एक शेर से जो पाला पड़ा है.
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अब मैं उसकी ये बात सुनकर उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से चोदने लग गया और साथ ही साथ उसके बूब्स को मूह मे भर कर चूसने लग गया और करीब 20 धक्को के बाद मेरे लॅंड ने भी सिग्नल दे दिया तब मैने उससे पूछा- कहा निकालु?
नैना – अंदर ही निकालो, कल सुबह गोली ला कर दे देना.
मैने उसकी जैसे ही ये बात सुनी, मेरे लंड ने अपना पानी . चूत मे ही निकाल दिया और उसकी चूत पानी से भर गई और मैं उसके उपर ही गिर गया.
फिर कुछ देर बाद नैना बोली – एक बार और करो क्योकि मुझे आज तक ऐसा मज़ा नही मिला.
मैने टाइम देखा तो 12:30 हो रहे थे और भैया-भाभी का आने का भी टाइम हो रहा था इसलिए मैने उसे समझाया और वो समझ गई और अपने कमरे मे चली गई.



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