मेरी मिर्जापुर वाली बहु की मस्त जवानी

मेरा नाम मोहन देसाई है, मेरी उम्र ५२ साल है और मेरा मिर्जापुर में कपडे का कारोबार है। मेरी पत्नी मुझे ८ साल पहले छोड़ के चलि गई और मैंने अकेले अपने बच्चों का पालन पोषण किया, मेरे दो लड़के हैं सतेन्द्र और मनिष। सतेंद्र ३० साल का है और अपने परिवारके साथ मिर्जापुर में रहता है। छोटा बेटा इंजीनियर है, मैंने २ साल पहले उसकी शादी करा दी।
शादी के बाद नई बहु मेरे घर आयी, बहु का नाम सरोज है और वो देखने में बहुत ही आकर्षक है। शादी के बाद पास पड़ोस के लड़के तो जैसे उसे देखने के लिये व्याकुल रहते थे। हो भी क्यों न, लम्बा कद, गोरा रंग और भरा हुवा बदन। सरोज के उम्र २३ साल है उसके बूब्स बहुत आकर्षक है उसकी हिप्स काफी बडी है, मोहल्ले के सारे लड़के उसकी हिप्स पे मरते थे। उसका फिगर ३४-३०-३८ है।, सरोज भी दिल खोल अपनी जवानी मोहल्ले के लड़कों पे लुभाती थी।
मनीष अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहता, घर में मैं और बहु आपस में बातें करते और इस तरह से हम दोनों एक घर में दिन बीता रहे थे।
मैन रोज सुबह पड़ोस के शमशेर सिंह के साथ मॉर्निंग वाक पे जाता था। शमशेर मुझसे ८-९ साल छोटा था वो अक्सर पार्क में जवान खूबसूरत लड़कियों की जवानी निहारता और साथ-साथ मुझे भी दीखाता। मैं भी चोर नज़रों से जवान लड़कियों के खुले अंगो को घूर लिया करता था। जब भी शमशेर कोई अच्छी लड़की देखता उसके बारे में मुझसे गन्दी-गन्दी बातें करता, वाइफ के जाने के बाद मुझे भी ऐसे बातें करना अच्छी लगती थी।
एक दिन रोज़ के तरह पार्क में –
शमशेर – देसाई जी, आपका बेटा कहाँ है आज कल? काफी दिनों से देखा नही।
मैन – पुणे में है, अगले महीने के १६ तारीख को आयेगा
शमशेर – बहु क्यों नहीं जाती मनीष के साथ कुछ झगड़ा तो नहीं?
मैन – नहीं नही। मनीष अभी पुणे में घर खरीद रहा है, बस 5-6 महिने में दोनों चले जाएंगे
षमषेर – बेचारी सरोज, शादी का आनन्द भी नहीं उठाया होगा अभी तक (मुस्कुराते हुऐ)
मै और शमशेर वाक पूरा करने के बाद घर आते है, और मैं शमशेर को डाइनिंग हॉल में बिठा के बहु को आवाज लगाता हूँ।।।।
बहू।।
सरोज – जी बाबूजी।
मैं- शमशेर जी आये हैं थोड़े पराठे तो खिला दो इन्हे अपने हाथो के।
बहु डार्क पर्पल कलर के साड़ी पहने हुवे डाइनिंग हॉल में आती है, मैंने देखा शमशेर की आंखे सरोज से हट नहीं रही। सरोज जब वापस जा रही होती है तब उसके बडे बड़े हिप्स देख के शमशेर से रहा नहीं जाता, और वो अपना लंड सहलाते हुए मुझसे कहता है। देसाई जी क्या बहु लाए है आप, ऐसा बॉडी स्ट्रक्चर तो मैंने अभी तक किसी लडकी का नहीं देखा मैंने भी सहमति से अपना सर हिला दिया, मुझे ऐसा करता देख शमशेर को और साहस मिली और वो बोला। देसाई जी साड़ी में सरोज के हिप्स बहुत अच्छे दिख रहे है।। मैंने कुछ नहीं कहा। शमशेर थोड़ी देर बाद अपने घर चला जाता है।
अगले दिन मैंने देखा सुबह ६ बजे शमशेर मेरे घर के बाहर आवाज लगा रहा है। मैं उठ के दरवाजा खोला। थोड़ी देर बाद हमदोनों वाक पे चल दिए।। रास्ते मेंउसने मुझे बताया के वो बीति रात कैसे सरोज को याद कर मुठ मारा। मुझे ऐतराज़ करता न देख वो और खुल के बेशरमी से सरोज के अंगों के बारे में बात करने लगा।मुझे उसकी बातें सुन कर कुछ अजीब सा महसूस हुआ मैं घर आया और बहु को आवज़ दिया।
मै – बहु।।। बहु।।
सरोज -जी बाबूजी।
आज सरोज मुझे बाकी दिनों से ज्यादा अच्छी लग रही थी।। उसने एक रेड कलर का शर्ट कुर्ता और सलवार पहनी हुई थी। उसके कुरते के साइड से कभी मुझे उसकी गोरी कमर तो कभी उसकी पेट नज़र आ रहा था और रेड सलवार में उसकी मोती-मोटी जांघो को देख मेरा लंड खड़ा होने लगा था।
मै – बेटा तुम अभी तक सो रही थी?
सरोज – वो पापा आज आप वाक के लिए जल्दी चले गए थे।।
मै- सोफ़े पे बैठ तकिये से अपना टेंट छुपाते हुए।। अच्छा आज वो कम्बख्त शमशेर जल्दी आ गया था। खैर तू नहा के पूजा कर ले मैं तबतक यहीं आराम करता हूँ।
सरोज – ओके बाबूजी।



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